खवाइश,, खवाइश मेरी भी है की बस एक बार और गले लगाने की,,माथा चुमके आपका हस्के मुस्कुराके बैठ जाने की,,फिर से खुदा बीच में आए तो डांटकर उनको समझाने की,,बस एक हिम्मत ही है जो हो नही सकता वो हर ख्वाइश खुद को महसूस करवाने की...
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